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Sports News ‘दुनिया में बस एक ही चीन, ताइवान उसका हिस्सा…’, कट्टर विरोधी के राष्ट्रपति बनने पर भड़क गया ड्रैगन
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि ताइवान में जो भी बदलाव हो रहे हैं, उसका बुनियादी तथ्य ये है कि दुनिया में सिर्फ एक ही चीन है और ताइवान उसका हिस्सा है और इस तथ्य में किसी भी कीमत पर बदलाव नहीं होगा.
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ताइवान में चीन विरोधी पार्टी जीती
aajtak.in
- नई दिल्ली,
- 14 जनवरी 2024,
- (अद्यतन 14 जनवरी 2024, 7:36 अपराह्न IST)
ताइवान चुनाव में कट्टर चीन विरोधी पार्टी की प्रचंड जीत को लेकर चीन बौखलाया हुआ है. यही वजह है कि ताइवान के चुनावी नतीजों को लेकर चीन ने कहा है कि ताइवान एक तरह से चीन का आंतरिक मामला है.
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि ताइवान में जो भी बदलाव हो रहे हैं, उसका बुनियादी तथ्य ये है कि दुनिया में सिर्फ एक ही चीन है और ताइवान उसका हिस्सा है और इस तथ्य में किसी भी कीमत पर बदलाव नहीं होगा.
चीन ने कहा कि हम ‘एक चीन सिद्धांत’ में विश्वास करते हैं. ताइवान की स्वतंत्रता का विरोध करते हैं और ‘एक चीन, एक ताइवान’ से इस रुख में बदलाव नहीं होगा. वहीं, एक चीन सिद्धांत को बनाए रखने को लेकर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के मौजूदा रुख में भी कोई बदलाव नहीं होगा.
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उन्होंने कहा कि ताइवान स्ट्रेट में शांति और स्थिरता के लिए एक चीन सिद्धांत मजबूत स्तंभ है. हमारा विश्वास है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय सिर्फ एक चीन सिद्धांत का पालन करेगा और ताइवान की स्वतंत्रता को लेकर अलगाववादी गतिविधियों का विरोध करेगा और राष्ट्रीय एकीकरण के लक्ष्य को हासिल करके रहेगा.
बता दें कि ताइवान की सत्तारूढ़ डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (DTP) के नेता लाई चिंग ते (Lai Ching-te) ने शनिवार को राष्ट्रपति चुनाव जीत लिया था. लाई चिंग और उनकी पार्टी डीपीटी को चीन का कट्टर विरोधी माना जाता है. लाई चिंग ते की जीत के साथ ही उनकी डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी ने लगातार तीसरी बार सत्ता में आकर इतिहास रच दिया था.
चीन और ताइवान में अनबन क्यों?
चीन और ताइवान का रिश्ता अलग है. ताइवान चीन के दक्षिण पूर्वी तट से 100 मील यानी लगभग 160 किलोमीटर दूर स्थित छोटा सा द्वीप है. ताइवान 1949 से खुद को आजाद मुल्क मान रहा है. लेकिन अभी तक दुनिया के 14 देशों ने ही उसे आजाद देश के तौर पर मान्यता दी है और उसके साथ डिप्लोमैटिक रिलेशन बनाए हैं. चीन ताइवान को अपना प्रांत मानता है और उसका मानना है कि एक दिन ताइवान उसका हिस्सा बन जाएगा. वहीं, ताइवान खुद को आजाद देश बताता है. उसका अपना संविधान है और वहां चुनी हुई सरकार है.